अधिवक्ता संघ मंत्री की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर अधिवक्ताओं का बड़ा निर्णय, तहसील न्यायालयों के बहिष्कार की चेतावनी।

दैनिक कांति 24 न्यूज़ ब्यूरो रिपोर्ट आज़मगढ़

आज़मगढ़ फूलपुर तहसील के अधिवक्ता संघ भवन में मंगलवार, 27 मई को दोपहर 3 बजे एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक तहसील बार एसोसिएशन अध्यक्ष बिनोद कुमार यादव की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें संघ मंत्री संजय कुमार यादव द्वारा संचालन किया गया। बैठक का मुख्य विषय संघ मंत्री की भूमिधरी पर किए गए अतिक्रमण को लेकर प्रशासन की निष्क्रियता पर चर्चा था।

संघ मंत्री की भूमि पर अतिक्रमण

संघ मंत्री संजय कुमार यादव ने जानकारी दी कि उनके ग्राम ससना में गाटा संख्या 324 में स्थित उनकी भूमिधरी भूमि के कुछ हिस्से पर विपक्षी द्वारा अवैध अतिक्रमण कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई बार शिकायतें की गईं, परंतु उपजिलाधिकारी फूलपुर द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। प्रशासनिक उदासीनता और अधिकारियों के असहयोग से आक्रोशित अधिवक्ताओं ने बैठक में एक स्वर में इसका विरोध किया।

सर्वसम्मति से न्यायालयों के बहिष्कार का निर्णय

बैठक में सभी अधिवक्ताओं ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि जब तक अधिवक्ता संघ मंत्री की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त नहीं कराया जाता, तब तक फूलपुर तहसील के समस्त न्यायालयों का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। अधिवक्ता संघ द्वारा इस निर्णय की लिखित सूचना तहसील बार अध्यक्ष बिनोद कुमार यादव ने उपजिलाधिकारी सहित तहसील के सभी न्यायालयों को भेज दी है।

अध्यक्ष बिनोद यादव ने कहा, “जब अधिवक्ता संघ के मंत्री स्वयं अपनी भूमि पर हुए अतिक्रमण का समाधान नहीं करवा पा रहे हैं, तो आम जनता और गरीब, पीड़ित, शोषित वर्ग को कैसे न्याय दिलाया जाएगा?”

उपजिलाधिकारी का पक्ष

जब इस संबंध में उपजिलाधिकारी फूलपुर से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि गाटा संख्या 324 एक ‘मिलजुला नंबर’ है और यह ग्रामसभा के खाते की भूमि में दर्ज है। उन्होंने कहा कि इसी गाटा में अधिवक्ता को भी भूमि आवंटित की गई है, लेकिन उसकी कोई स्पष्ट चौहद्दी (सीमा) नहीं दर्शाई गई है।

उपजिलाधिकारी ने आगे कहा कि, “गांव के मुख्य खड़ंजे (रास्ते) पर कब्जा दिलाना संभव नहीं है, क्योंकि कुछ भाग पर गांव की एक महिला का भी कब्जा है। बिना स्पष्ट सीमा निर्धारण और ठोस कानूनी व्यवस्था के कार्यवाही नहीं की जा सकती।”

उन्होंने सुझाव दिया कि संबंधित पक्ष को भूमि के बंटवारे (विवाद विभाजन) का वाद राजस्व न्यायालय में दाखिल करना चाहिए, ताकि कानून के अनुसार समाधान किया जा सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “किसी की पक्षपातपूर्ण सहायता नहीं की जाएगी, और न्याय पूर्ण प्रक्रिया के तहत सभी के साथ समान व्यवहार किया जाएगा।”

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