वक्ताओं ने उनके द्वारा किये गए समाज सेवा और योगदान की विस्तार से वर्णन किया
दैनिक कांति 24 न्यूज़
ब्यूरो रिपोर्ट आज़मगढ़
फूलपुर , तहसील क्षेत्र के मिजवां गांव में शुक्रवार को कैफ़ी आज़मी की २२वीं पुण्य तिथि सादगी के साथ उनके पैतृक गाँव मिजवां के फ़तेह मंज़िल में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कैफ़ी आज़मी का जन्म फूलपुर तहसील क्षेत्र के मिजवां गांव में १४ जनवरी १९१९ को एक ज़मीनदार घराने में हुआ कैफ़ी का पूरा नाम सय्यद अतहर हुसैन रिजवी है उनकी माता उन्हें प्यार से कैफ़ी कह कर पुकारती थी महज़ ११साल की उम्र में शेरो शायरी कहना शुरू कर दिया था और १९ वर्ष की उम्र में मुम्बई चले गए और वहां जाकर मुशायरे के अलावा फिल्मों में नग़मे लिखने लगे और कैफ़ी आज़मी के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्हें सरकार की तरफ कई बार पुरूसकृति किया गया। लम्बी बीमारी के बाद १० मई २००२ को दुनिया को अलविदा कह दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. अजीम ने कैफी साहब की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित अवं माल्यार्पण से किया। उन्होंने कहा की कैफी साहब एक महान शायर और समाजसेवी थे, उनके योगदान को सदियों तक याद रखा जाएगा।
संयोगिता प्रजापति, रामफेर प्रजापति, और जयराम प्रजापति ने भी कैफ़ी आज़मी साहब के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए । मिजवा वेलफेयर सोसायटी के प्रबंधक आशुतोष त्रिपाठी ने कहा की कैफ़ी साहब उर्दू के महान शायर, दूरदर्शी, और सामाजिक न्याय के पुरोधा थे। 1993 में उन्होंने मिजवा वेलफेयर सोसाइटी की स्थापना की जिससे मिजवा और आसपास के गाओं की लड़कियों को शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता है और चिकनकारी सेण्टर के द्वारा 500 से ज्यादा औरतों को चिकनकारी की ट्रेनिंग के बाद यहीं काम मिल जाता है जिससे वे अपना जीविकोपार्जन चला रही हैं और कंप्यूटर सेण्टर में बच्चों को रोजगार परक कोर्स से जोड़ा जा रहा है।
सभी उपस्थित लोगों ने इस महान व्यक्तित्व के स्मरण में श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर संयोगिता प्रजापति, सुनील कुशवाहा, संतोष प्रजापति, शीला यादव, लल्लन प्रसाद, चंद्रेश यादव, मनोज प्रजापति, पंकज चौबे, नीरज गोंड, योद्धा गौतम, गोपाल, सीताराम, सुरेंद्र, ओमप्रकाश आदि उपस्थित रहे ।