दैनिक कांति 24 न्यूज़ ब्यूरो रिपोर्ट आज़मगढ़
फूलपुर-, राजकीय तकमील अल-तिब्ब कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शमीम इरशाद आज़मी को उर्दू साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए मिर्ज़ा असदुल्लाह खान ग़ालिब पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय ऑडिटोरियम में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। समारोह में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री ब्रिजेश पाठक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
डॉ. शमीम इरशाद आज़मी की इस उपलब्धि से उनके महाविद्यालय के शिक्षक और छात्र अत्यंत उत्साहित हैं। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. अब्दुल कवी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि, “डॉ. शमीम इरशाद आज़मी की सेवाएं उर्दू साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय हैं। उनकी मेहनत और समर्पण ने महाविद्यालय को गौरवान्वित किया है।”
डॉ. शमीम इरशाद आज़मी का शैक्षणिक और साहित्यिक योगदान अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने अब तक 150 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और 35 से अधिक अध्याय विभिन्न पुस्तकों में शामिल किए गए हैं। हाल ही में उनकी पुस्तक क्रूड ड्रग्स ऑफ यूनानी मेडिसिन दो खंडों में कनाडा के एप्पल एकेडमिक प्रेस द्वारा प्रकाशित की गई है। उन्होंने 50 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेकर यूनानी चिकित्सा और उर्दू साहित्य को एक नई पहचान दिलाई है।
डॉ. शमीम इरशाद आज़मी आज़मगढ़ जिले के फूलपुर कोतवाली क्षेत्र के मुंडियार गांव के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. हकीम इरशाद अहमद के पुत्र हैं। उन्होंने मदरसा-उल-इस्लाह, सराय मीर, आज़मगढ़ से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और अजमल खान मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीयूएमएस की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन, बैंगलोर से एमडी की डिग्री हासिल की।
अपने करियर में उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन बैंगलोर, स्टेट यूनानी मेडिकल कॉलेज प्रयागराज और जामिया मेडिकल कॉलेज देवबंद जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में सेवाएं दी हैं। जामिया मेडिकल कॉलेज में वे प्राचार्य के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
डॉ. शमीम इरशाद की इस सफलता पर उनके पिता प्रो. हकीम इरशाद अहमद ने कहा, “मुझे अपने बेटे पर गर्व है। उसने अपनी मेहनत और समर्पण से शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।”
डॉ. शमीम इरशाद आज़मी की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार बल्कि उनके क्षेत्र और साहित्यिक जगत को गर्व से भर दिया है।